Thursday 9 July 2015

आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार

जीवन में
कभी-कभी ऐसे समय
आता है जहां पर आपका एक निर्णय आपको
संकट में डाल देता है। आचार्य चाणक्य ने इस
विषय में चार ऐसे हालात के बारें में बताया कि अगर
कभी ऐसे हालात आए व्यक्ति को
तुरंत भाग निकलना चाहिए। जानिए ऐसे चार हालात
कौन-कौन से हैं।

1.दंगा या उपद्रव होने पर

यदि किसी जगह पर दंगा या उपद्रव
हो रहा है तो उस जगह से तुरंत भाग जाना
चाहिए। अगर उस जगह खड़े रहेंगे तो उपद्रवियों
की हिंसा का शिकार हो सकते हैं और
शासन-प्रसाशन के द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ
की जाने वाली
कार्यवाही में आप भी
फंस सकते हैं। इसलिए ऐसे स्थान से तुरंत भाग
जाना चाहिए।

2.अचानक आपके शत्रु का आप पर हमला
अगर आपका कोई शत्रु है और वह हम पर
पूरे बल के साथ अचानक हमला कर देता है तो
हमें उस स्थान से तुरंत भाग निकलना चाहिए।
क्योकि शत्रु जब भी आप पर वार
करेगा तो वह पूरी तैयारी
और बल के साथ ही वार करेगा।
इसलिए हमें सबसे पहले अपने प्राणों
की रक्षा करनी चाहिए।
यदि हमारें प्राण रहेंगे तो शत्रुओं से बाद में
भी निपटा जा सकता है।

3.अकाल पड़ जाने पर
अगर आपके क्षेत्र में अकाल पड़ गया और
खाने-पीने, रहने के संसाधन खत्म
हो गए हों तो ऐसे जगह से तुरंत भाग जाना
चाहिए। क्योकि अगर हम अकाल
वाली जगह पर खान-
पीने की
चीजों के बिना अधिक दिन तक
जीवित रह पाना मुश्किल होगा और
निश्चित ही प्राणों का संकट उत्पन्न
हो जाएगा। इसलिेए अकाल वाले जगह को छोड़कर
किसी दूसरी जगह पर
चले जाना चाहिए।

4.नीच व्यक्ति आने पर
चाणक्य ने कहा है कि जिस प्रकार कोयले
की खान में जाने वाले व्यक्ति के
कपड़ों पर दाग लग जाते हैं, ठीक
उसी प्रकार नीच
व्यक्ति की संगत हमारी
प्रतिष्ठा पर दाग लगा सकती है।
अत: हमारे पास कोई नीच व्यक्ति
आ जाए तो उस जगह से तुरंत भाग निकलना
चाहिए क्योंकि नीच व्यक्ति
की संगत किसी
भी पल आपकी
परेशानियों को बढ़ा सकती है।