Sunday 14 September 2014

Hindi kavita

नया हु अभी धीरे
धीरे शिख जाऊंगा...
पर किसी के सामने झुक कर
अपनी पहचान नहीं
बनाऊंगा...

गाँव मे थे तो सब नाम से बुलाते थे,
शहर आये तो बस काम से बुलाते है!
सिर्फ तेरे सामने शरीफ बनने
का दिखावा करता हूं..! वरना आके देख ले...
जहां पेर रखता हूं..! सलाम करने वाले
की लाइन
लग जाती हैं......

"नज़र जब मिली तो फसाना हो गया,
एक पल मे दिल तेरा दिवाना हो गया,
जब से वह आए हैं
मेरी ज़िन्दगी मे,
अंदाज़ 'प्यार' का शायराना हो गया,"

"तेरी चाहत में हम ज़माना भूल गये,
किसी और को हम अपनाना भूल
गये,
तुम से मोहब्बत हैं बताया सारे जहाँ को,
बस एक तुझे ही बताना भूल
गये....."

कहते हैं कब्र में सुकून
की नींद
होती है, अजीब बात
है की.....यह बात
भी जिन्दा लोगों ने
कही...!!

कबर की मिट्टी हाथ में
लिए सोच रहा हूं;
लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है!

अनपढ़ तेरे गाँव के , गाय चराने जाय ,
पढे लिखे मेरे शहर के , कुत्ता टहलाने जाय ..

तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़
है इस बात को सब से
छुपाना भी इश्क़ हैयूँ
तो रातों को नींद
नही आतीपर
रातों को सो कर भी जाग जाना इश्क़
है

काटो के बदले फूल क्या दोगे,आँसू के बदले
खुशी क्या दोगे,हम चाहते है आप
से उमर भर
की दोस्ती,हमारे इस
शायरी का जवाब क्या दोगे?

कमाल है................................. तेरी वफ़ा के खातिर
ज़लील किया तेरे शहर के लोगों ने!!
.
.
इक तेरी कदर न
होती तो तेरा शहर जला देते !!!

चढते सूरज के पुजारी तो लाखों है

डूबते वक़्त हमने सूरज
को भी तन्हा देखा।

पानी दरिया में हो या आँखोंमें,
गहराई और राज़ दोनोंमें होते हैं !!

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