Thursday 15 January 2015

18 जनवरी अलौकिक दिवस

18 जनवरी अलौकिक दिवस
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मनुष्य से फ़रिश्ता और फरिश्ता से देवता होने
की दिलचस्प कहानी -
पिता श्री ब्रम्हा
धरती पर अनेक फूल खिलते हैं और
मुरझा जाते हैँ आकाश मेँ असंख्य तारे चमकते हैं और
विलीन हो जाते है । उदय और अस्त
यही तो दुनिया का क्रम है जिससे यह
संसार सूत्र बंधा हुआ है। व्यक्ति आता है और
चला जाता है । लेकिन कुछ ऐसे
व्यक्ति भी होते हैं जो अपने व्यक्तित्व
की अमिट छाप लोगो के दिल पर छोड जाते
हैं। जिसका स्मरण होते ही मस्तक
श्रद्धा से झुक जाता है। जिस
पिता की संतान होने का गौरव मनुष्य
जीवन के श्रेष्ठ पहलू को उजागर
करता है। ऐसे ही व्यक्तित्व के
धनी कुशल अनुशासक साबित हुए
पिता श्री ब्रम्हा बाबा ।
उनकी जादूई नजरों का नज़ारा बडा कमाल
का था। जिस पर नज़रें टिक गई वह निहाल हो गया ।
अपलक देखने पर भी मन
नहीँ भरता । जिसने भी उंहेँ
एक बार निहार लिया उसकी आँखेँ
वही ठहर गई ।
उनकी आँखों मेँ अमृत का सागर हिलोरे ले
रहा था । ऐसे आचरणयोग्य एकमात्र पुरुषोत्तम साबित
हुए " पिताश्री ब्रम्हाबाबा "
शत शत नमन.......

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