क्या है सीमा वाइब्स (तरंगों)
की ?
मैं मानसिक तरंगों की बात कर रहा हूँ।
अनेक बार ऐसा मौका आया है जब मन अचरज से भर
गया है ये समझ कर ये
सारा करिश्मा तरंगों का है,मानसिक तरंगों का ।
तरंगों की शक्ति असीम हैं।
इस
शक्ति की अनदेखी करना बहुत
बड़े घाटे का सौदा है।
मानसिक तरंगे जो कर सकती हैं वो लम्बे
चौड़े भाषण नहीं कर सकते। ये तरंगें
हमारे जीवन को गहराई से प्रभावित
करती हैं।
इसकी सूक्ष्मता में जाना और
इसको ठीक से समझना परमावश्यक है।
ये तरंगे हमारे खुद के जीवन
को भी वृहत रूप से प्रभावित
करती हैं। हमारे खुद के मानसिक तरंग
हमारे जीवन को ऊँचाई पर ले जा सकते हैं
अथवा हमें गर्त में भी पंहुचा सकते हैं.
अर्थात संकल्पों के उत्पन्न होने के समय इस बात
का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए कि ये सकारात्मक है
या नकारात्मक?
मानसिक तरंगो को सकारात्मक बनाये रखने
की विधि क्या है ?
विधि है कि अनवरत हमारा आत्मिक भान कायम रहे।
आत्मिक भान की अवस्था में मन में
पवित्र और शक्तिशाति तरंगों अथवा भावनाओ
की ही उत्पत्ति होती रहती है।
हमारी उच्चतर अवस्था कायम
रहती है। हम उच्चतम प्रभु से
भी युक्त रहते हैं। हमारे सकारात्मक
तरंग महौल को पूरी तरह से
प्रभावी बनाये रखने में सक्षम रहते हैं।
सकारात्मक वाइब्स हमारे शारीरिक
स्वास्थय के लिए
भी जरूरी हैं। सकारात्मक
वाइब्स अनेक बीमारिओं से
हमारी रक्षा करते हैं। थोड़ा अटेंशन बनाये
रखकर हम ये सब प्राप्त कर पाएंगे। ओम शांति।
Thursday, 15 January 2015
सकारात्मक सोच की ऊर्जा का परिणाम
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सोच
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