एकांत और अकेलापन
जब भी एकांत होता है, तो हम अकेलेपन
को एकांत समझ लेते हैं। और तब हम
तत्काल अपने अकेलेपन को भरने के लिए
कोई उपाय कर लेते हैं। पिक्चर देखने चले
जाते हैं, कि रेडियो खोल लेते हैं,
कि अखबार पढ़ने लगते हैं। कुछ
नहीं सूझता, तो सो जाते हैं, सपने देखने
लगते हैं। मगर अपने अकेलेपन को जल्दी से
भर लेते हैं। ध्यान रहे, अकेलापन
सदा उदासी लाता है, एकांत आनंद
लाता है। वे उनके लक्षण हैं। अगर आप
घड़ीभर एकांत में रह जाएं,
तो आपका रोआं-रोआं आनंद की पुलक
से भर जाएगा। और आप घड़ी भर अकेलेपन
में रह जाएं, तो आपका रोआं-रोआं
थका और उदास, और कुम्हलाए हुए
पत्तों की तरह आप झुक जाएंगे। अकेलेपन
में उदासी पकड़ती है, क्योंकि अकेलेपन
में दूसरों की याद आती है। और एकांत में
आनंद आ जाता है, क्योंकि एकांत में
प्रभु से मिलन होता है। वही आनंद है, और
कोई आनंद नहीं है।
Sunday 18 January 2015
एकांत और अकेलापन,
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