Saturday 23 August 2014

Important news

2032 में खत्म हो जाएगी दुनिया? http://newshunt.com/share/31561844 Source:Aajtak

Wednesday 20 August 2014

Rajyoga meditation in Haridwar

Rajyoga meditation in Haridwar

By Brahmakumaris

Opp rishikul ayurvadic college
        Pin 249401
        Mobile -8006631110

Tuesday 19 August 2014

बृहमाकुमारीज् हरिद्वार दूारा मनाया गया जन्माष्टमी का पर्व

हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद दातै जी,महामंडलेशवर जी तथा बी के मीना बहन जी, बृहमाकुमारीज् हरिद्वार  ने किया उदघाटन।

Thursday 14 August 2014

My India great india


Sweat lines......,,,
ये दबदबा, ये हकूमत, ये नशा-ए-दौलत,
सब किराये के मकान हैं।
किराएदार बदलते रहते है।

Wednesday 13 August 2014

Haridwar Brothers group

Madhuban yatra

Brahmakumaris haridwar

Brahmakumaris haridwar

Address

Opp- rishikul ayurvadic college,             Pin-249401
        Phone -8006631110

CHILDREN'S DAY AT BRAHMAKUMARRIES CENTRE, HARIDWAR

हरिद्वार में बृहमाकुमारीज् दूारा बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल बच्चों के साथ ग्रुप फोटो में बृहमाकुमारीज् हरिद्वार की संचालिका बी के मीना बहन जी।

बी के मीना बहन जी ने बृहमाकुमारीज् हरिद्वार केन्द्र पर आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को राजयोग के गुर सिखाते हुए कहा कि बच्चों के संपूर्ण एवं स्वस्थ विकास के लिए  राजयोग का अभ्यास आवश्यक है और यह राजयोग बृहमाकुमारीज् के सभी सेन्टर पर निशुल्क सिखाया जाता है।

Bk premlata bahn ji

Bk premlata bahn ji

Tuesday 12 August 2014

बृहमाकुमारीज् हरिद्वार ने किया भव्य संत गोष्ठी का आयोजन

रक्षाबंधन का पर्व उत्तराखण्ड  के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन रहा।

हरिद्वार में बृहमाकुमारीज् दूारा आयोजित संत गोष्ठी में हरिद्वार के जाने माने संतो ने हिस्सा लिया साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता राजयोगीनी बी के प्रेमलता बहन, बृहमाकुमारीज् ,हरिद्वार ने की।
कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन बी के मीना बहन जी ने किया ।

Saturday 9 August 2014

हर की पौड़ी

हरिद्वार , हरिद्वार जिला , उत्तराखण्ड , भारत में एक पवित्र नगर
और नगर निगम बोर्ड है। हिन्दी में, हरिद्वार
का अर्थ हरि "(ईश्वर)" का द्वार होता है। हरिद्वार हिन्दुओं
के सात पवित्र स्थलों में से एक है।
३१३९ मीटर की ऊंचाई पर स्थित
अपने स्रोत गौमुख (गंगोत्री हिमनद) से २५३
किमी की यात्रा करके
गंगा नदी हरिद्वार में गंगा के
मैदानी क्षेत्रो में प्रथम प्रवेश
करती है, इसलिए हरिद्वार को गंगाद्वार के नाम
सा भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है वह स्थान
जहाँ पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश
करती हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है
जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घडे से गिर
गयीं जब खगोलीय
पक्षी गरुड़ उस घडे को समुद्र मंथन के बाद ले
जा रहे थे। चार स्थानों पर अमृत की बूंदें
गिरीं, और ये स्थान हैं:- उज्जैन , हरिद्वार, नासिक ,
और प्रयाग | आज ये वें स्थान हैं जहां कुम्भ
मेला चारों स्थानों में से किसी भी एक
स्थान पर प्रति ३ वर्षों में और १२वें वर्ष इलाहाबाद में
महाकुम्भ आयोजित किया जाता है। पूरी दुनिया से
करोडों तीर्थयात्री, भक्तजन, और
पर्यटक यहां इस समारोह को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं
और गंगा नदी के तट पर शास्त्र विधि से स्नान
इत्यादि करते हैं।
वह स्थान जहाँ पर अमृत की बूंदें
गिरी थी उसे हर-की-
पौडी पर ब्रह्म कुंड माना जाता है जिसका शाब्दिक
अर्थ है 'ईश्वर के पवित्र पग'। हर-की-
पौडी, हरिद्वार के सबसे पवित्र घाट माना जाता है
और पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के
जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के
लिए यहाँ आते हैं। यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करने के
लिए आवश्यक माना जाता है।
हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल
कमिशनरी के भाग के रूप में २८ दिसंबर १९८८
को अस्तित्व में आया। २४ सितंबर १९९८ के दिन उत्तर प्रदेश
विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, १९९८' पारित
किया, अंततः भारतीय संसद ने
भी 'भारतीय संघीय विधान
- उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००' पारित किया, और
इस प्रकार ९ नवंबर, २०००, के दिन हरिद्वार
भारतीय गणराज्य के २७वें नवगठित राज्य
उत्तराखंड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया।
आज, यह अपने धार्मिक महत्व से परे, राज्य के एक
प्रमुख औद्योगिक गंतव्य के रूप में, तेज़ी से
विकसित हो रहा है, जैसे तेज़ी से विक्सित
होता औद्योगिक एस्टेट, राज्य ढांचागत और औद्योगिक विकास
निगम, SIDCUL (सिडकुल), भेल (भारत
हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) और इसके सम्बंधित
सहायक।
हरिद्वार: इतिहास और वर्तमान
प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार स्वर्ग जैसा सुन्दर है।
हरिद्वार भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एक
बहुरूपदर्शक प्रस्तुत करता है। इसका उल्लेख पौराणिक
कथाओं में कपिलस्थान, गंगाद्वार और मायापुरी के
नाम से भी किया गया है। यह चार धाम यात्रा के
लिए प्रवेश द्वार भी है (उत्तराखंड के चार धाम
है:- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और
यमुनोत्री), इसलिए भगवान शिव के
अनुयायी और भगवान विष्णु के
अनुयायी इसे क्रमशः हरद्वार और हरिद्वार के नाम
से पुकारते है। हर यानी शिव और
हरि यानी विष्णु।
महाभारत के वनपर्व में धौम्य ऋषि, युधिष्टर को भारतवर्ष के
तीर्थ स्थलों के बारे में बताते है जहाँ पर गंगाद्वार
अर्थात् हरिद्वार और कनखल के
तीर्थों का भी उल्लेख किया गया है।
कपिल ऋषि का आश्रम भी यहाँ स्थित था, जिससे
इसे इसका प्राचीन नाम कपिल या कपिल्स्थान मिला।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगीरथ ,
जो सूर्यवंशी राजा सगर के प्रपौत्र
(श्रीराम के एक पूर्वज) थे,
गंगाजी को सतयुग में
वर्षों की तपस्या के पश्चात् अपने ६०,०००
पूर्वजों के उद्धार और कपिल ऋषि के श्राप से मुक्त करने के
लिए के लिए पृथ्वी पर लाये। ये एक
ऐसी परंपरा है जिसे करोडों हिन्दू आज
भी निभाते है, जो अपने पूर्वजों के उद्धार
की आशा में
उनकी चिता की राख लाते हैं और
गंगाजी में विसर्जित कर देते हैं। कहा जाता है
की भगवान विष्णु ने एक पत्थर पर अपने पग-
चिन्ह छोड़े है जो हर की पौडी में एक
उपरी दीवार पर स्थापित है, जहां हर
समय पवित्र गंगाजी इन्हें
छूती रहतीं हैं।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि
हरिद्वार जिले के पश्चिम में सहारनपुर , उत्तर और पूर्व में
देहरादून , पूर्व में पौढ़ी गढ़वाल, और दक्षिण में
रुड़की , मुज़फ़्फ़र नगर और बिजनौर हैं। नवनिर्मित
राज्य उत्तराखंड ने सम्मिलित किए जाने से पहले यह
सहारनपुर डिविज़नल कमिशनरी का एक भाग था।
पूरे जिले को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनता है,
और यहाँ उत्तराखंड विधानसभा की ९
सीटे हैं जो हैं - भगवानपुर , रुड़की,
इकबालपुर, मंगलौर, लांधौर, लस्कर , भद्रबाद , हरिद्वार, और
लालडांग ।
जिला प्रशासनिक रूप से तीन तहसीलों
हरिद्वार, रुड़की, और लस्कर और छः विकास
खण्डों भगवानपुर, रुड़की, नर्सान, भद्रबाद,
लस्कर, और खानपुर में बँटा हुआ है। ' हरीश
रावत ' हरिद्वार लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद ,
और 'मदन कौशिक' हरिद्वार नगर से उत्तराखंड विधानसभा
सदस्य हैं।
भूगोल
हरिद्वार उन पहले शहरों में से एक है जहाँ गंगा पहाडों से
निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है.
गंगा का पानी, अधिकतर वर्षा ऋतु जब
कि उपरी क्षेत्रों से मिटटी इसमें
घुलकर नीचे आ जाती है के अतिरिक्त
एकदम स्वच्छ व ठंडा होता है. गंगा नदी विच्छिन्न
प्रवाहों जिन्हें जज़ीरा भी कहते हैं
की श्रृंखला में बहती है जिनमें
अधिकतर जंगलों से घिरे हैं. अन्य छोटे प्रवाह हैं:
रानीपुर राव, पथरी राव,
रावी राव, हर्नोई राव, बेगम नदी आदि.
जिले का अधिकांश भाग जंगलों से घिरा है व
राजाजी राष्ट्रीय
प्राणी उद्यान जिले
की सीमा में ही आता है
जो इसे वन्यजीवन व साहसिक कार्यों के
प्रेमियों का आदर्श स्थान बनाता है. राजाजी इन
गेटों से पहुंचा जा सकता है: रामगढ़ गेट व मोहंद गेट
जो देहरादून से २५ किमी पर स्थित है
जबकि मोतीचूर, रानीपुर और चिल्ला गेट
हरिद्वार से केवल ९
किमी की दूरी पर हैं.
कुनाओ गेट ऋषिकेश से ६ किमी पर है. लालधंग
गेट कोट्द्वारा से २५ किमी पर है. २३६० वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र से घिरा हरिद्वार जिला भारत के
उत्तराखंड राज्य के दक्षिण पश्चिमी भाग में
स्थित है. इसके अक्षांश व देशांतर क्रमशः २९.९६
डिग्री उत्तर व ७८.१६ डिग्री पूर्व
हैं. हरिद्वार समुन्द्र तल से २४९.७
मी की ऊंचाई पर उत्तर व उत्तर-
पूर्व में शिवालिक पहाडियों तथा दक्षिण में
गंगा नदी के बीच स्थित है.
हरिद्वार में हिन्दू
वंशावलियों की पंजिका
वह जो अधिकतर भारतीयों व वे जो विदेश में बस
गए को आज भी पता नहीं,
प्राचीन रिवाजों के अनुसार हिन्दू
परिवारों की पिछली कई
पीढियों की विस्तृत वंशावलियां हिन्दू
ब्राह्मण पंडितों जिन्हें पंडा भी कहा जाता है
द्वारा हिन्दुओं के पवित्र नगर हरिद्वार में हस्त लिखित पंजिओं
में जो उनके पूर्वज पंडितों ने आगे सौंपीं जो एक के
पूर्वजों के असली जिलों व गांवों के आधार पर
वर्गीकृत की गयीं सहेज
कर रखी गयीं हैं. प्रत्येक जिले
की पंजिका का विशिष्ट पंडित होता है. यहाँ तक
कि भारत के विभाजन के उपरांत जो जिले व गाँव पाकिस्तान में रह
गए व हिन्दू भारत आ गए
उनकी भी वंशावलियां यहाँ हैं. कई
स्थितियों में उन हिन्दुओं के वंशज अब सिख हैं, तो कई के
मुस्लिम अपितु ईसाई भी हैं. किसी के
लिए किसी की अपितु सात
वंशों की जानकारी पंडों के पास
रखी इन वंशावली पंजिकाओं से
लेना असामान्य नहीं है.
शताब्दियों पूर्व जब हिन्दू पूर्वजों ने हरिद्वार
की पावन
नगरी की यात्रा की जोकि अ
धिकतर तीर्थयात्रा के लिए या/ व शव- दाह
या स्वजनों के अस्थि व राख का गंगा जल में विसर्जन
जोकि शव- दाह के बाद हिन्दू धार्मिक रीति-
रिवाजों के अनुसार आवश्यक है के लिए
की होगी. अपने परिवार
की वंशावली के धारक पंडित के पास
जाकर पंजियों में उपस्थित वंश- वृक्ष को संयुक्त परिवारों में हुए
सभी विवाहों, जन्मों व मृत्युओं के विवरण सहित
नवीनीकृत कराने की एक
प्राचीन रीति है.
वर्तमान में हरिद्वार जाने वाले भारतीय हक्के-
बक्के रह जाते हैं जब वहां के पंडित उनसे उनके नितांत
अपने वंश- वृक्ष को नवीनीकृत कराने
को कहते हैं. यह खबर उनके नियत पंडित तक जंगल
की आग की तरह
फैलती है. आजकल जब संयुक्त हिदू परिवार
का चलन ख़त्म हो गया है व लोग नाभिकीय
परिवारों को तरजीह दे रहे हैं, पंडित चाहते हैं
कि आगंतुक अपने फैले परिवारों के लोगों व अपने पुराने जिलों-
गाँवों, दादा- दादी के नाम व परदादा-
परदादी और विवाहों, जन्मों और मृत्युओं
जो कि विस्तृत परिवारों में हुई हों अपितु उन परिवारों जिनसे विवाह
संपन्न हुए
आदि की पूरी जानकारी के
साथ वहां आयें. आगंतुक परिवार के सदस्य
को सभी जानकारी नवीन
ीकृत करने के उपरांत
वंशावली पंजी को भविष्य के पारिवारिक
सदस्यों के लिए व प्रविष्टियों को प्रमाणित करने के लिए
हस्ताक्षरित करना होता है. साथ आये मित्रों व अन्य पारिवारिक
सदस्यों से भी साक्षी के तौर पर
हस्ताक्षर करने
की विनती की जा सकत
ी है.
जलवायु
तापमान
ग्रीष्मकाल: १५ डिग्री से- 42
डिग्री से
शीतकाल: ६ डिग्री से- १६.६
डिग्री से
जनसांख्यिकी
२००१ की भारत की जनगणना के
अनुसार हरिद्वार जिले की जनसँख्या २,९५,२१३
थी. पुरुष ५४% व महिलाएं ४६% हैं. हरिद्वार
की औसत साक्षरता राष्ट्रीय औसत
५९.५% से अधिक ७०% है: पुरुष साक्षरता ७५% व
महिला साक्षरता ६४% है. हरिद्वार में, १२% जनसँख्या ६
वर्ष की आयु से कम है.

दर्शनीय धार्मिक स्थल

हिन्दू परम्पराओं के अनुसार, हरिद्वार में पांच
तीर्थ गंगाद्वार (हर
की पौडी), कुश्वर्त (घाट), कनखल,
बिलवा तीर्थ (मनसा देवी),
नील पर्वत (चंडी देवी)
हैं.

हर की पौडी:

यह पवित्र घाट राजा विक्रमादित्य ने
पहली शताब्दी ईसा पूर्व में अपने भाई
भ्रिथारी की याद में बनवाया था.
मान्यता है कि भ्रिथारी हरिद्वार आया था और उसने
पावन गंगा के तटों पर तपस्या की थी.
जब वह मरे, उनके भाई ने उनके नाम पर यह घाट बनवाया,
जो बाद में हरी- की-
पौड़ी कहलाया जाने लगा. हर
की पौड़ी का सबसे पवित्र घाट
ब्रह्मकुंड है. संध्या समय
गंगा देवी की हरी की पौड़ी पर की जाने
वाली आरती किसी भी आगंतुक के लिए महत्वपूर्ण अनुभव है.
स्वरों व रंगों का एक कौतुक समारोह के बाद देखने को मिलता है
जब तीर्थयात्री जलते
दीयों को नदी पर अपने
पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए
बहाते हैं. विश्व भर से हजारों लोग अपनी हरिद्वार
यात्रा के समय इस प्रार्थना में उपस्थित होने का ध्यान रखते
हैं. वर्तमान के अधिकांश घाट १८०० के समय विकसित किये
गए थे.

चंडी देवी मन्दिर -
६ किमी
यह मन्दिर
चंडी देवी जो कि गंगा नदी
के पूर्वी किनारे पर "नील पर्वत" के
शिखर पर विराजमान हैं, को समर्पित है. यह
कश्मीर के राजा सुचत सिंह द्वारा १९२९ ई में
बनवाया गया. स्कन्द पुराण की एक कथा के
अनुसार, चंड- मुंड जोकि स्थानीय राक्षस राजाओं
शुम्भ- निशुम्भ के सेनानायक थे
को देवी चंडी ने
यहीं मारा था जिसके बाद इस स्थान का नाम
चंडी देवी पड़ गया. मान्यता है
कि मुख्य
प्रतिमा की स्थापना आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ने
की थी. मन्दिर चंडीघाट से
३ किमी दूरी पर स्थित है व एक रोपवे
द्वारा भी पहुंचा जा सकता है. फोन: ०१३३४-
२२०३२४, समय- प्रातः ८.३० से साँय ६.०० बजे तक.

मनसा देवी मन्दिर - ०.५ किमी
बिलवा पर्वत के शिखर पर स्थित,
मनसा देवी का मन्दिर, शाब्दिक अर्थों में वह
देवी जो मन की इच्छा (मनसा) पूर्ण
करतीं हैं, एक पर्यटकों का लोकप्रिय स्थान,
विशेषकर केबल कारों के लिए, जिनसे नगर का मनोहर दृश्य
दिखता है. मुख्य मन्दिर में दो प्रतिमाएं हैं,
पहली तीन मुखों व पांच भुजाओं के
साथ जबकि दूसरी आठ भुजाओं के साथ. फोन:
०१३३४- २२७७४५.

माया देवी मन्दिर - ०.५ किमी
११वीं शताब्दी का माया देवी
, हरिद्वार की अधिष्ठात्री ईश्वर
का यह प्राचीन मन्दिर एक सिद्धपीठ
माना जाता है व इसे
देवी सटी की नाभि व
ह्रदय के गिरने का स्थान कहा जाता है. यह उन कुछ
प्राचीन मंदिरों में से एक है जो अब
भी नारायणी शिला व भैरव मन्दिर के
साथ खड़े हैं.
" पतञलि योगपीत्
शैक्षणिक संस्थान
हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में में निम्नलिखित
शिक्षा संस्थान है:-
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
रुड़की - ३० किमी

रुड़की इंजीनियरी कॉलेज,
जो अब एक आई॰आई॰टी बन चुका है, यह भारत
में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा का एक
महत्वपूर्ण संस्थान है जो हरिद्वार से ३० मिनट
की दूरी पर रुड़की में
स्थित है।

कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग (कोएर) - १४
किमी एक
निजी अभियांतिकी संस्थान जो हरिद्वार
और रुड़की के बीच
राष्ट्रीय महामार्ग ५८ पर स्थित है।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय - ४
किमी कनखल में गंगा नदी के तट पर
हरिद्वार-ज्वालापुर बाइपास सड़क पर स्थित।
चिन्मय डिग्री कॉलेज हरिद्वार से १०
किमी दूर स्थित शिवालिक नगर में बसा यह हरिद्वार
के विज्ञान कोलेजों में से एक है।

विश्व संस्कृत विद्यालय संस्कृत विश्विद्यालय, हरिद्वार
जिसकी स्थापन उत्तराखंड सरकार
द्वारा की गई थी विश्व का एकमात्र
विश्वविद्यालय है जो पूर्णतः प्राचीन संस्कृत
ग्रंथों, पुस्तकों की शिक्षा को समर्पित है। इसके
पाठ्यक्रम के अंतर्गत हिन्दू रीतियों, संस्कृति, और
परंपराओं
की शिक्षा दी जाती है,
और इसका भव्य भवन प्राचीन हिन्दू वास्तुशिल्प
पर आधारित है।

दिल्ली पब्लिक स्कूल, रानीपुर क्षेत्र
के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से यह एक है
जो विश्वव्यापी दिल्ली पब्लिक स्कूल
परिवार का भाग है। यह अपनी उत्कृष्ट शैक्षणिक
उपलब्धियों, खेलों, पाठ्यक्रमेतर क्रियाकलापों के साथ-साथ
सर्वोत्तम सुविधाओं, प्रयोगशालाओं, और शैक्षणिक वातावरन के
लिए जाना जाता है।


डी॰ए॰वी सैन्टेनरी पब्लिक
स्कूल जगजीत्पुर में स्थित यह विद्यालय
शिक्षा के साथ-साथ अपने विद्यार्थियों कों नैतिकता का पाठ
भी सिखाता है ताकी यहाँ से निकला हर
विद्यार्थी संसार के हर कोने को प्रकाशित कर
सके।
केन्द्रीय विद्यालय, बी॰एच॰ई॰एल
केन्द्रिय विद्यालय, बी॰एच॰ई॰एल, हरिद्वार के
प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है,
जिसकी स्थापना ७ जुलाई , १९७५
को की गई थी। केन्द्रीय
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्धीकृत, इस
विद्यालय में प्री-प्राइमरी से
१२वीं तक २,००० से अधिक
विद्यार्थी पढ़ते है।
नगर के महत्वपूर्ण क्षेत्र
भेल, रानीपुर टाउनशिप: भेल का परिसर,
जो की एक नवरत्न पूएसयू है। यह १२
किमी² में फैला हुआ है।
पर्व
गहन धार्मिक महत्व के कारण हरिद्वार में वर्ष भर में कई
धार्मिक त्यौहार आयोजित होते हैं जिनमें प्रमुख हैं :- कवद
मेला, सोमवती अमावस्या मेला , गंगा दशहरा, गुघल
मेला जिसमें लगभग २०-२५ लाख लोग भाग लेते हैं।
इस के अतिरिक्त यहाँ कुंभ मेला भी आयोजित
होता है बार हर बारह वर्षों में मनाया जाता है जब
बृहस्पति ग्रह कुम्भ राशिः में प्रवेश करता है। कुंभ मेले के
पहले लिखित साक्ष्य
चीनी यात्री, हुआन त्सैंग
(६०२ - ६६४ ई.) के लेखों में मिलते हैं जो ६२९ ई. में भारत
की यात्रा पर आया था।
भारतीय शाही राजपत्र
(इम्पीरियल गज़टर इंडिया), के अनुसार १८९२ के
महाकुम्भ में हैजे का प्रकोप हुआ था जिसके बाद
मेला व्यवस्था में तेजी से सुधार किये गए और,
'हरिद्वार सुधार सोसायटी' का गठन किया गया, और
१९०३ में लगभग ४,००,००० लोगों ने मेले में भाग लिया। १९८०
के दशक में हुए एक कुम्भ में हर-की-
पौडी के निकट हुई एक भगदड़ में ६०० लोग मारे
गए और बीसियों घायल हुए। १९९८ के महा कुंभ
मेले में तो ८ करोड़ से भी अधिक
तीर्थयात्री पवित्र
गंगा नदी में स्नान करने के लिए यहाँ आये।
vhxhvl ljs d
परिवहन
हरिद्वार अच्छी तरह सड़क मार्ग से
राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ से जुड़ा है
जो दिल्ली और मानापस को आपस में जोड़ता है।
निकटतम ट्रेन स्टेशन हरिद्वार में ही स्थित है
जो भारत के सभी प्रमुख नगरों को हरिद्वार से
जोड़ता है। निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट,
देहरादून में है लेकिन नई दिल्ली स्थित
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे
को प्राथमिकता दी जाती है।
उद्योग
जबसे राज्य सरकार
की सरकारी संस्था, सिडकुल
(उत्तराखंड राज्य ढांचागत और औद्योगिक विकास निगम
लिमिटेड) द्वारा एकीकृत औद्योगिक एस्टेट
की स्थापना इस ज़िले में की गई है,
तबसे हरिद्वार बहुत तेजी से उत्तराखंड के
महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है,
जो देशभर के कई महत्वपूर्ण औद्योगिक घरानों को आकर्षित
कर रहा है, जो यहाँ विनिर्माण सुविधाओं
की स्थापना कर रहे हैं।
हरिद्वार पहले से ही एक संपन्न औद्योगिक
क्षेत्र में स्थित है जो बाईपास रोड के किनारे बसा है जहाँ पर
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, भेल की मुख्य
सहायक इकाइयां स्थापित है जो यहाँ १९६४ में स्थापित
की गयी थी और आज
यहाँ ८,००० से अधिक लोग प्रयुक्त हैं।

By Wikipedia

हरिद्वार से पुरी सदभावना अभियान

  10 अक्तूबर 2012 ----
हरिद्वार से  पुरी सदभावना अभियान.

बृहमाकुमारीज् के धार्मिक
प्रभाग द्वारा आयोजित इस अभियान का शुभारम्भ,
बीके प्रेमलता बहन, अध्यक्षा, धार्मिक प्रभाग,बी के मीना बहन, हरिद्वार
बीके कुंती बहन, एम.एम श्यामसुंदर
दासजी तथा अन्य महानुभावोंने किया.